यह दुनिया रहस्यों से भरी हुई है, इसका अंदाजा इस रहस्यमयी गाँव को देखकर आप लगा सकते हैं। जब आप सुनाह उठकर गाव की पगडंडियों पर चलेंगे तो रास्ते में आपको हजारों पक्षी मरे हुए दिखाई देंगे। पहले तो आपको यही लगेगा कि पक्षी किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए हैं। या यह भी सोच सकते हैं कि ये हवा में प्रदूषण के कारण घुले हुए जहर से मरे होंगे। लेकिन जब यह घटना हर साल किसी ख़ास समय पर होंगे लगे तो शायद आपका दिमाग भी चकरा जायेगा। तब जाकर आपको लगेगा कि यह प्रकृति का कोई रहस्य है।
आज हम आपको असम एक ऐसे ही छोटे और रहस्यमयी गाँव जतिंगा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ साल में एक बार कहीं और से हजारो पक्षी आत्महत्या करने के लिए आते हैं। जतिंगा असम के उत्तरी काछार पहाड़ी में स्थित एक खुबसूरत घाटी है। यह स्था अपने नारंगी के बागों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ दूर-दूर से सैलानी शुमने आते हैं। साथ ही उनका ध्यान यहाँ होने वाली पक्षियों की आत्महत्या ने भी खींचा है। खासतौर पर यहाँ कोहरे वाले महीनों में पक्षियों की आत्महत्या देखने को मिलती है।
लेकिन कई बार अमावास के समय होने वाले कोहरे में भी यह घटना देखने को मिल जाती है। यह अद्भुत घटना शाम को 7 बजे से लेकर 10 बजे के बीच देखने को मिल जाती है। यहाँ की ख़ासियत यह है कि यहाँ पक्षी अकेले नहीं बल्कि समूहों में आकार आत्महत्या करते हैं। यहाँ आत्महत्या किसी ख़ास प्रजाति का पक्षी नहीं बल्कि विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षियों द्वारा किया जाता है। किंगफिशर, टाइगर बाइटन और लिटिल एग्रीट। जैसे पक्षी इस सामूहिक आत्महत्या में शामिल होते हैं। अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर क्यों ये पक्षी आत्महत्या करते हैं?
जतिंगा में होने वाली पक्षियों की आत्महत्या को लेकर कई खोज किये जा चुके हैं। इसके पीछे कई तर्क भी दिए जा चुके हैं। लेकिन इतनी खोजों के बाद भी एक भी ऐसा तर्क नहीं दिया गया है, जिसे सुनकर पूरी तरह से संतुष्ट हुआ जा सके। सच कहा जाये तो अभी तक इस रहस्य का खुलासा नहीं हो पाया है। कई पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि इस घटना के पीछे चुम्बकीय शक्तियाँ जिम्मेदार हैं। कोहरे भरे मौसम में हवाएं तेज बहती हैं और वह इस समय मदहोशी में होते हैं, तेजी से उड़ने के कारण वह पेड़ों और दीवारों से टकराकर मर जाते हैं। जबकि स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसा भूत-प्रेत की वजह से होता है।