सफल होने की कोई उम्र नहीं होती. टैलेंट, सपने और उन्हें पूरे करने के लिए डेडिकेशन अगर किसी में हो तो कोई आपको सफलता के शिखर तक जाने से नहीं रोक सकता. उपरोक्त कथन को सही साबित करते है रितेश अग्रवाल, जो कि ओयओ रूम्स के सीईओ हैं.
वह अब न केवल युवा उद्यमियों के लिए बल्कि युवाओं को भी प्रेरणा देते हैं जो जीवन में असाधारण काम करना चाहते हैं. ओयो रूम्स यात्रियों को सबसे सस्ता लेकिन सबसे अच्छा कमरे प्रदान करता है जिसमें कोई ऐड-ऑन खर्च नहीं होता.
उनकी सफलता की यात्रा कैसे शुरू हुई?
उनकी यह यात्रा बहुत सामान्य तरीके से शुरू हुई. रितेश 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा राज्य के जिले कटक बीसाम के एक व्यवसायिक परिवार में पैदा हुए थे. और उन्होंने अपनी स्कूलिंग उड़ीसा के रायगढ़ में सेक्रेड हार्ट स्कूल से पूरी की है.
एक इंटरप्रेन्योर के रूप में उनकी यात्रा बहुत आसान नहीं रही उसे शीर्ष पर होने वाली विफलताओं और कठिनाइयों से निपटना पड़ा।
बीच में छोड़ी इंजीनियरिंग
स्कूलिंग ख़तम करने के बाद उनकी इच्छा IIT में दाखिले की हुई, जिसकी तैयारी के लिए वह राजस्थान के कोटा आ गए लेकिन उन्होंने 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़ दी और ओयो रूम्स खोल लिया
उन्होंने यह कंपनी अकेले खोली थी. इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनके पास शुरुआती दिनों में किराया देने के लिए भी पैसे नहीं होते थे और कई रातें उन्होंने सीढ़ियों पर बिताई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह सिम कार्ड भी बेचा करते थे.
ऐसे आया आईडिया
रितेश को घूमना बहुत पसंद है. यात्रा करते समय उन्हें पता चला कि सस्ती दरों पर अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ अच्छा कमरे उपलब्ध कराने में समस्या आती है। सिर्फ 17 साल की उम्र में, उन्होंने Travel ट्रेवल्स शुरू किया जो बाद में ओयओ रूम के साथ जुड़ गया था. उन्होंने होटल में कम बजट के कमरों की उपलब्धता की समस्या को खत्म करने के लिए ओयो रूम्स को लॉन्च किया.